
भाद्रपद शुक्ल पक्ष षष्ठी शायं ५/७ तक उपरि सप्तमी सोमवार विशाखा नक्षत्र दिन २/५८ तक उपरि अनुराधा ९ सितम्बर २०२४
निर्धनस्य विषं भोगो निस्सत्वस्य विषं रणम् |
अनभ्यासे विषं शास्त्रम् अजीर्णे भोजनं विषम् ||
अर्थात धनहीन व्यक्ति यदि अपनी आय से अधिक व्यय करता है धनाढ्य का अनुकरण करके अपने जीवन को विलासितापूर्ण वना लेता है तो उसका जीवन विष से भरा हुआ समझना, इसी तरह शरीर से कमजोर व्यक्ति यदि वलवान से लड़ाई करता है तो उसका भी जीवन विषाक्त ही है विना अध्ययन व विना अभ्यास के शास्त्र भी विष की ही भांति है लालच मे पेट भरने पर भी जो लोग स्वादिष्ट भोजन करते रहते है उनके लिए वह भोजन भी विष ही हो जाता है इसलिए अपने स्वास्थ्य व सामर्थ्य के अनुसार ही कार्य करना चाहिएशुभ दिन