करनैलगंज परसपुरगोंडा
Trending

गोंडा : विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया 54 वां पुण्य स्मृति दिवस

परसपुर गोण्डा : परसपुर ब्लॉक स्थित प्रजापिता ब्रह्मा कुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय परसपुर सेवा केन्द्र द्वारा बुधवार को ब्रह्मा कुमारीज संस्थान के साकार संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा का 54वां पुण्य स्मृति दिवस , विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया।
इस अवसर पर भाई बहनों ने राजयोग (मेडिटेशन) द्वारा विश्व को शांति का दान दिया।ब्रह्मा कुमारी अनामिका बहन, पंडित प्रताप नारायण मिश्र,जगदीश सोनी,कमला प्रसाद सिंह,रामेन्द्र नारायण सिंह एस .डी. ओ. रामेश्वर प्रसाद मिश्रा ने ब्रह्मा बाबा के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
विश्व विद्यालय परसपुर सेवा केन्द्र की प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्मा कुमारी अनामिका बहन ने अपने सम्बोधन में कहा कि मनुष्य को संस्कार परिवार से ही मिलता है।यदि परिवार ठीक नहीं है तो बच्चों का जीवन बर्बाद हो जाता है,आज लोगों के घर टूटे जा रहें हैं।भाई -भाई,पिता -पुत्र में भी कड़ुआहट देखने को मिल रही है।आत्मीयता व परस्पर सामंजस्य का भाव अगर कम हो गया तो बच्चे समाज के अच्छे नागरिक नहीं बन पायेंगे।परिवार ठीक रहेगा तभी सब ठीक रह पायेगा।इसलिए परिवार में जीवन मूल्य सिखाएं तभी मानवता सुखी रहेगी।
वह संस्था के संस्थापक सदस्य दादा लेखराज जी के 54वें अवरोहण दिवस पर कार्यक्रम में आये हुए जिज्ञासुओं को संबोधित करते हुए आगे कहा कि सद्भावना व सत्कर्म से जो संस्कार बनता है उससे राष्ट्र वा समाज तथा विश्व का कल्याण होता है। आदर्श परिवार बनाने के लिए सबके प्रति स्नेह का भाव वा सबको जोड़कर एक समाज के नाते मिलकर रहने से समाज की शक्ति बढ़ेगी।एक दूसरे के प्रति प्रेम, करूणा दया क्षमा सद्भावना आत्मीयता सहयोग वा समन्वय की भावना होनी चाहिए।दूसरे के विकास में मन को प्रसन्नता होनी चाहिए। इसी को परिवार कहते हैं।परिवार का रूप क्या होता है इसके संदेश को परिभाषित करते हुए कहा कि प्रजापिता ब्रह्मा बाबा (दादा लेखराज) जी ने अपने जीवन में आत्मसात किया और यही शिक्षा अपनाये जाने के लिए बल दिया है। इसलिए हम जहां भी कार्य करें,वहां हमें परिवारिक भावना से ही कार्य करने चाहिए।आत्मिक प्रेम ,सामंजस्य-समन्यवय तथा सहयोग की भावना जो एक परिवार में होनी चाहिए वही भावना आपको प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में देखने को मिलती है,इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय का संचालन विश्व के143 देशों में हो रहा है,जिसमें 99प्रतिशत लोग घर गृहस्थ वाले हैं तकरीबन 11लाख भाई- बहिनें प्रतिदिन एक समय पर,एक ही शिक्षा को जो विश्व भर के ब्रह्मा कुमारीज के सेंटरों पर दी जा रही, नियमित उसे अपने जीवन में धारण कर भाई-बहिनें अपने जीवन को श्रेष्ठ बना रहे हैं,इस परिवार में जो प्रेम और अपनत्व है,वह वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को सच्चे अर्थों में साकार कर रहा है।सबके प्रति आत्मिक दृष्टि कोण को अपना कर परिवारिक भाव से ही सबका भला होगा।
कमला प्रसाद सिंह ने कहा कि पिता श्री ब्रह्मा बाबा ने पूरे विश्व को एक परिवार माना है जो सच्चे अर्थों में वसुधैव कुटुम्बकम ही है।आज विश्व के लिए परिवार की बहुत आवश्यकता है।अब तो कई देशों में वहाँ के राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी घोषणा पत्रों में भी लिखना शुरू कर दिया है कि हम पारिवारिक मूल्यों को लागू करेंगे।आज समाज के अधिकांश परिवारों में एकता की बात होती है,लेकिन यह बात विरोधाभासी है।परिवार का मतलब ही एकता है, लेकिन आज परिस्थिति ऐसी हो गई है कि परिवार में एकता की बात की जाती है।
रामेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि तपस्या सिर्फ जंगल में बैठने से नहीं होती,कोई भी कर्म साधना के साथ बिना स्वार्थ के किया जाए तो वह तपस्या है।इस विश्व विद्यालय की स्थापना करते समय दादा लेखराज जी ने दूरदर्शिता को अपनाते हुए विश्व बंधुत्व को मजबूत करने के लिए विश्व की सर्वआत्माओं को आपस में आत्मिक भाव से देखने समझने और सुनने की शिक्षा हम बच्चों को दी है,जिससे अब हमें विश्व भर की आत्माएं कोई गैर नहीं लगती हैं और ना ही गैर दिखतीं हैं सबके प्रति आत्मीयता है।इस दृष्टि कोण से यदि संसार के समस्त मनुष्य एक दूसरे को आत्म भाव से देंखे तो समाज में व्याप्त जाति धर्म अपना-पराया का नजरिया खत्म हो जायेगा।जहां तब यह गीत जरूर सार्थक होगा कि “सच मानों तो सारी दुनिया अपना ही परिवार है, फिर क्यों बंटा हुआ संसार है” आध्यात्मिक शिक्षा आत्मा की उन्नति के अलावा विकास के साथ समाज के हित के लिए होता है।
सभासद जगदीश सोनी जी ने कहा कि ऐसी संस्थाएं समाज को नई दिशा देने का कार्य करतीं हैं।पिता श्री ब्रह्मा बाबा के पदचिन्हों पर चलकर उनके सत्य ज्ञान की बातें प्रतिदिन पांच लोगों तक पहुंचाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
 इस अवसर पर प्रमुख रूप से अधिशाषी अधिकारी नगर पंचायत परसपुर उपेन्द्र कुमार उपाध्याय, अरूण कुमार सिंह,अनूप सिंह, रोहित सिंह,दिव्यांस चतुर्वेदी,ने अपने अपने विचार रखे।
इस अवसर पर वासुदेव सिंह,डी.एन.सिंह,राधेश्याम मिश्रा , अशोक मिश्रा,विनोद मिश्रा, प्रमोद मिश्रा,विपिन मिश्रा,उमा,रमा,पूनम, पिंकी,सुषमा,रमा,ममता,सुन्दर पती माता समेत हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।

Related Articles

Back to top button