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2 अप्रैल को मनेगा हिंदू नववर्ष और 16 को हनुमान जयंती पर खत्म होगा ये महीना

होलिका दहन यानी फाल्गुन माह की पूर्णिमा के अगले ही दिन से चैत्र महीना शुरू हो जाता है। इस बार 18 मार्च से ये महीना शुरू होगा। फाल्गुन साल का आखिरी महीना और चैत्र पहला महीना है। ये दोनों महीने वसंत ऋतु में ही आते हैं। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार चैत्र महीने में महत्वपूर्ण तीज और त्योहार आते हैं। हालांकि इस महीने में खरमास होने से विवाह और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकेंगे।

चैत्र कृष्ण पक्ष के त्यौहार (18 मार्च से 1 अप्रैल तक )
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को शीतला माता की पूजा एवं ठंडा भोजन किया जाता है। इसके बाद दशमी तिथि पर दशा माता की पूजा एवं व्रत का विधान है। परिवार में सुख, शांति और समृद्धि के लिए ये दोनों व्रत किए जाते हैं। एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते हैं। वहीं चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। शीत ऋतु की शुरुआत आश्विन मास से होती है, इसलिए आश्विन मास की दशमी को हरेला मनाया जाता है। ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत चैत्र मास से होती है, इसलिए चैत्र मास की नवमी को हरेला मनाया जाता है।

चैत्र शुक्ल पक्ष के त्यौहार (2 से 16 अप्रैल तक)
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर नववर्ष शुरू होता है। इस दिन गुड़ी पड़वा पर्व मनाया जाता है। इस दिन से चैत्र नवरात्र शुरू होने पर नौ दिनों तक शक्ति आराधना की जाती है। इस दौरान तृतीया को देवी उमा, शिव और अग्नि पूजन करना चाहिए। इस दिन मत्स्य जयन्ती मनानी चाहिए, क्योंकि यह मन्वादि तिथि है। चतुर्थी को गणेशजी का पूजन करना चाहिए। पंचमी को देवी लक्ष्मी और नागों का पूजन करना चाहिए।

षष्ठी तिथि पर स्वामी कार्तिकेय की पूजा और सप्तमी पर सूर्य पूजन करने का विधान है। अष्टमी तिथि को मां दुर्गा की पूजा के साथ ही इस दिन ब्रह्मपुत्र नदी में स्नान करने का भी महत्व है। नवमी को भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाने के साथ मां भद्रकाली की पूजा करना चाहिए। ये नवरात्र का आखिरी दिन होता है। दशमी तिथि पर को धर्मराज की पूजा और जवारे विसर्जन किए जाते हैं।

शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान कृष्ण का दोलोत्सव यानी कृष्ण पत्नी रुक्मिणी का पूजन किया जाता है। द्वादशी को दमनकोत्सव मनाया जाता है। त्रयोदशी को कामदेव की पूजा और चतुर्दशी को नृसिंहदोलोत्सव, एकवीर, भैरव तथा शिवजी की पूजा करना चाहिए। चैत्र महीने के आखिरी दिन पूर्णिमा को मन्वादि, तिथि होने से स्नान दान करने की परंपरा है। इस दिन हनुमान जयंती मनाते हैं और वैशाख स्नान शुरू किया जाता है। चैत्र मास की पूर्णिमा को चैते पूनम भी कहा जाता है।

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