प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ग्लोबिंग वार्मिंग सभी देशों की जीवन शैली में होना चाहिए
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ग्लोबिंग वार्मिंग पर बयान दिया है और और जोर देकर कह कहा है कि जीवनशैली बदलने से विश्व को अपनी जीवनशैली बदलने से ग्लोबिंग वार्मिंग से निजात मिल सकेगी सोमवार को जोर देकर कहा कि भारत एक मात्र देश है जो पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए ‘ उसकी भावना’ के तहत ‘अक्षरश:’ कार्य कर रहा है. ब्रिटेन के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र सीओपी-26 के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत की तरफ से इस चुनौती पर पांच अमृत तत्व रखना चाहता हूं-
1-भारत 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की Carbon इंटेंसिटी को 45 फीसदी से ज्यादा कम करेगा.
2-2030 तक भारत अपना नॉन फोसाइल एनर्जी कैपसिटी को 500 GW तक पहुंचाएगा.
3-साल 2070 तक भारत नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा.
3-अब से लेकर 2030 तक भारत कुल प्रोजेक्टेड Carbon Emission में एक बिलियन टन की कमी करेगा.
4-2030 तक भारत अपनी 50 फीसदी ऊर्जा जरूरतें, नवीकरणीय ऊर्जा से पूरी करेगा.
पीएम मोदी ने जीवनशैली में बदलाव का आह्वान करते हुए कहा कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशील जीवनशैली जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए दीर्घकालिक उपाय हो सकता है. प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को वैश्विक मिशन बनाया जाए. पीएम मोदी ने दोहराया कि विकसित देशों को जलवायु वित्तपोषण के लिए एक खरब डॉलर देने के अपने वादे को पूरा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसकी निगरानी उसी तरह की जानी चाहिए जैसा जलवायु शमन की होती है.
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, ”भारत उम्मीद करता है कि विकसित देश यथाशीघ्र जलवायु वित्तपोषण के लिए एक खरब डॉलर उपलब्ध कराएंगे. जैसा हम जलवायु शमन की निगरानी करते हैं, हमे जलवायु वित्तपोषण की भी उसी तरह निगरानी करनी चाहिए. वास्तव में न्याय तभी मिलेगा जब उन देशों पर दबाव बनाया जाएगा जो जलवायु वित्तपोषण के अपने वादों को पूरा नहीं कर रहे हैं.”
प्रधानमंत्री ने कहा, ”भारत वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने को लेकर प्रतिबद्ध, वर्ष 2030 तक जीवाश्म ईंधन के उपयोग में उल्लेखनीय कमी लाएगा और नवीनीकरण ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाएगा.” उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक अनुमानित उत्सर्जन में से एक अरब टन कार्बन उत्सर्जन कम करेगा, भारत कार्बन की गहनता में 45 प्रतिशत तक कटौती करेगा. प्रधानमंत्री ने कहा, ” दुनिया की आबादी में भारत की 17 प्रतिशत हिस्सेदारी है लेकिन कार्बन उत्सर्जन में योगदान महज पांच प्रतिशत है.”