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कार्तिक पूर्णिमा का महत्व ज्योतिष विद आचार्य दीपक तेजस्वी के द्वारा – गाजियाबाद

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा शुक्रवार, नवम्बर 19, 2021 को

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 18, 2021 को 12:00 पी एम बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त – नवम्बर 19, 2021 को 02:26 पी एम बजे

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में पड़ने वाली पूर्णिमा ‘कार्तिक पूर्णिमा’ कहलाती है, जिसे हम देव दिवाली भी कहते हैं। यह पर्व रोशनी के त्योहार दीपावली के 15 दिनों के बाद आता है। जो देश के विभिन्न राज्यों, विशेष रूप से अयोध्या और वाराणसी के साथ-साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े हर्षोउल्लास एवं धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा, नर्मदा या किसी पवित्र नदी या किसी जल कुंड में स्नान कर दीपदान, दान, यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व है।  कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए गए दान पुण्य कार्यों का फल सामान्य से कई गुना अधिक प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा या देव दिवाली पांच दिवसीय त्यौहार है जिसकी शुरुआत देवउठनी ग्यारस / देवोत्थान ग्यारस से होती है। तुलसी विवाह या प्रबोधिनी ग्यारह का अगला दिन भीष्म पंचक के नाम से जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले अर्थात चतुर्दशी के दिन वैकुंठ चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है, इस दिन भगवान विष्णु के प्रति आस्था के तौर पर उपवास का महत्व है। अंतिम दिन है, कार्तिक पूर्णिमा इस दिन को देव विजय के रूप में देव दीपावली या देव दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने देवताओं को त्रिपुर रक्षस के भय से मुक्ति दिलाई थी इसीलिए इस दिन को देवता दीपावली की तरह मनाते है

सनातन धर्म में पूर्णिमा के दिन को विशेष मान्यता प्राप्त है, इस दिन को दान धर्म और मांगलिक कार्यों के लिए विशिष्ट माना गया है। इसी क्रम में कार्तिक की पूर्णिमा को अन्य सभी पूर्णिमा से अधिक फलदायी और महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन के लिए कुछ विशेष विधि विधानों का भी उल्लेख किया गया है, जिनको धारण करने से जातक को धरती लोक पर सभी सुख और मृत्यु उपरांत वैकुंड धाम की प्राप्ति होती है।

देव दीपावली पर क्या करें और क्या न करें!

1) कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर, गंगा नदी में स्नान करना चाहिए। यदि ऐसा करना संभव न हो तो, आप नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें भी मिला सकते हैं। माना गया है कि ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन के सभी पूर्व के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2) इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा का आयोजन भी, बेहद फायदेमंद साबित होता है, क्योंकि इससे व्यक्ति को मन की शांति की अनुभूति होती है। 
3) इस दिन तुलसी के पौधे के सामने एक दीपक ज़रूर जलाएं, इससे आपको अत्यंत शुभ फल मिलेंगे। 
4) पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी, इस दिन एक दीपक जलाएं।
5) घर के पूर्व दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाने से, व्यक्ति को भगवान से आशीर्वाद स्वरूप दीर्घ आयु और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है। साथ ही घर-परिवार में भी सुख-शांति का वास होता है। 
6) इस दिन रात के समय चांदी के पात्र से, चंद्रमा को जल चढ़ाने से जातक की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होगी।
7) मान्यता अनुसार, इस दिन वस्त्र, भोजन, पूजा सामग्री, दीये जैसी वस्तुओं का दान करना, जीवन में सौभाग्य लाता है। 
8) आम के पत्तों से बना बंदनवार या तोरण भी, अपने घर के मुख्य द्वार पर लगाना लाभदायक रहता है।
9) इस दिन क्रोध, गुस्सा, ईर्ष्या, आवेश और क्रूरता, जैसी भावनाएं अपने मन में न आने दें।
10) शराब या किसी भी तामसिक या मांसाहारी भोजन का सेवन न करें।
11) घर-परिवार में शांतिपूर्ण वातावरण बनाकर रखें। 
12) कार्तिक पूर्णिमा के दिन, भूल से भी तुलसी के पत्तों का स्पर्श न करें और न ही उन्हें तोड़ें।
13) इस अवधि के दौरान, ब्रह्मचर्य का पालन करना उचित रहता है।

इस दिन भगवान विष्णु व लक्ष्मी जी का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए आप शक्तिशाली विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं

आचार्य दीपक तेजस्वी

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