किस कानून के तहत मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होता है कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा कर्नाटक सरकार से पूछा

कर्नाटक हाई कोर्ट में राकेश पी और अन्य की ओर से पेश हुए वकील श्रीधर प्रभु ने कहा कि लाउडस्पीकर और माइकों के इस्तेमाल को हमेशा चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। किस पर इस पर कर्नाटक सरकार से हाईकोर्ट ने पूछा कि किस कानून के तहत मस्जिदों पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल हो रहा है इसके पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने कहा था कि किसी को भी जबरदस्ती अपनी बात सुनाने का अधिकार नहीं है इसलिए मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर पर सरकार को संज्ञान लेना चाहिए सरकार द्वारा हनुमत दी जाती है तो ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए निश्चित डेसिबल में कुछ प्रतिबंधों के तहत सरकार द्वारा अनुमति दी जाती रही है वह भी 15 दिन से ज्यादा किसी सामाजिक अनुष्ठान या समारोह में नहीं दी जा सकती अतः सरकारों को चाहिए ईवे इस बात का ख्याल रखें और ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय करने चाहिए
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर मामले में 16 नवंबर 2021 को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऋतु राज अवस्थी (Ritu Raj Awasthi) और जस्टिस सचिन शंकर मागादुब (Sachin Shankar Magadum) ने इस केस की सुनवाई करते हुए कर्नाटक सरकार से पूछा कि आखिर अनुमति से पहले 16 मस्जिदों द्वारा लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किस प्रावधान के तहत हुआ और ध्वनि प्रदूषण को देखते हुए इन्हें प्रतिबंधित करने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है।
इस मामले में बता दें कि थानिसंद्रा मेन रोड स्थित आइकॉन अपार्टमेंट के 32 निवासियों ने लाउडस्पीकर और माइक से हो रहे ध्वनि प्रदूषण को लेकर 16 मस्जिदों के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट में राकेश पी और अन्य की ओर से पेश हुए वकील श्रीधर प्रभु ने कहा कि लाउडस्पीकर और माइकों के इस्तेमाल को हमेशा चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
उन्होंने अपनी याचिका में नियम 5 (3) का हवाला दिया। ये नियम लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करता है। ये राज्य सरकार को अधिकार देता है कि वो रात में होने वाले किसी धार्मिक, सांस्कृतिक या त्योहार पर कुछ समय के लिए लाउडस्पीकर को अनुमति दे दें। लेकिन ये सब भी साल में 15 दिन से ज्यादा के लिए नहीं।