भारतीय चिंतन परंपरा में आत्ममंथन को साधना के मार्ग का प्रवेश द्वार कहा गया है। आत्म चिंतन से मनुष्य नर से नारायण तथा पुरुष से पुरषोत्तम की पदवी को प्राप्त कर सकता है। आत्मिक चिंतन मनुष्य जीवन को आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति की ओर ले जाता है
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