■28th■November2021■
मन सदैव से ही अशांत रहता है,
और उसे नियंत्रित करना अत्यन्त
कठिन है। लेकिन निरंतर अभ्यास
से इसे वश में किया जा सकता है।
यदि सब कुछ अच्छा हो रहा है,
अपने मन के मुताबिक हो रहा है,
तो भी कोई न कोई जाना-अंजाना
सा भय मन को अशांत रखता है।
और कुछ नही तो यह अपने अच्छे
समय के समाप्त होने की आशंका
से ही व्यथित होकर अशांत होने
लगता है। इसके विपरीत जब भी
कभी परिस्थितियां अपने मन के
मुताबिक तथा अपनी योजना के
अनुरूप ना हों तो मन का व्यथित
एवं अशांत होना स्वाभाविक है।
किन्तु जिसने अच्छी व बुरी, दोनो
परिस्थितियों में स्वयं को नियंत्रित
कर लिया,अपने मन व विचारों को
शांत रखते हुए सभी संभावनाओं
एवं अवस्थाओं को एक-रूपता से
स्वीकार करने योग्य बना लिया,
वास्तव में वह ही सार्थक साधक है।
सुप्रभात जी
आपका आज का दिन अत्यन्त शुभ,
सुखद, समृध्द एवं कल्याणकारी हो।
जीवन मे सफल होने वाले व्यक्ति की यह एक पहचान है
वह कभी भी नकारात्मक नही होता है!
उसे जीवन का हर दौर आशावादी लगता है!