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अलीगढ़ हाथरस में एमएलसी की भाजपा के उचित दावेदारों की तलाश जारी

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अलीगढ़ :- विधान परिषद के चुनाव के लिए 15 मार्च से नामांकन शुरू हो रहे हैं। अभी तक भाजपा की ओर से किसी ने दावेदारी नहीं की है। अलीगढ़ जिले से ही दावेदारी की संभावना जताई जा रही है।
कहा जा रहा है कि भाजपा अलीगढ़ से किसी जाट समाज के प्रत्याशी को चुनाव लड़ा सकती है।
अलीगढ़ व हाथरस के लिए एक एमएलसी सीट
अलीगढ़ और हाथरस जनपद को मिलाकर एमएलसी की एक सीट के लिए चुनाव होना है। दोनों जनपदों को मिलाकर 3500 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। इसमें प्रधान, जिला पंचायत सदस्य, स्थानीय निकाय प्रतिनिधि व अन्य वोटों डालते हैं। पिछली बार यहां से सपा से जसवंत सिंह एमएलसी बने थे। भाजपा फिर से सत्ता में आई हैं। हाथरस से अभी तक भाजपा से दावेदार सामने नहीं आ रहे हैं। चर्चा है कि अलीगढ़ से मजबूत दावेदारी हो सकती है। जिला प्रभारी देवेंद्र सिंह ने बताया कि विधान परिषद के चुनाव के लिए अभी किसी से आवेदन नहीं किया है। पार्टी के कुछ चर्चित चेहरों से इस चुनाव में लड़ने की बात की गई तो उन्होंने मना कर दिया है।
न होने की वजह
यह चुनाव टेक्निकल माना जाता है। हालांकि इस चुनाव में सत्ता का प्रभाव दिखाई देता है। जनप्रतिनिधि मतदाता होने के कारण उन्हें प्रभावित कर पाना आसान नहीं होता है। इस चुनाव में लहर का भी अधिक असर नहीं होता है। यहां तक खर्च की बात करें तो इसमें बजट अधिक रहता है। एमएलए के चुनाव में आयोग की तरफ से एक प्रत्याशी का खर्च 40 लाख रुपये तय किया गया है जबकि इस चुनाव चुनाव में खर्च की सीमा तय नहीं है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि एमएलसी के चुनाव के लिए बजट की अधिक जरूरत पड़ती है।
जाट समाज से प्रत्याशी की वजह
अलीगढ़ में जाट बाहुल्य खैर और इगलास सीट आरक्षित हो गई है। इसलिए जाट समाज के लोगों को विधायक बनने का मौका नहीं मिल पा रहा है। अलीगढ़ और हाथरस जिले में दस विधायकों में भाजपा के नौ विधायक हैं। इसमें सभी जाट समाज को छोड़कर हैं। भाजपा सांसद ब्राह्मण समाज से हैं। वहीं भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष ठाकुर समाज से हैं। ऐसे में एमएलसी के लिए पार्टी की ओर से जाट समाज को प्राथमिकता के तौर पर मान्यता दी जा रही है। उचित ,अनुभवी और प्रभावी उम्मीदवार की तलाश जारी है जो जल्दी ही स्पष्ट हो जाएगा

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