
मनुष्य बहुत जल्दी हताश और निराश हो जाता है। मनुष्य हर वस्तु जल्द से जल्द प्राप्त करना चाहता है। इसके चलते जब उसकी इच्छा पूरी नहीं होती तो वह निराश हो जाता है।जब देखता है कि उसके सामने अन्य सफल हो गए पर उसे सफलता नहीं मिली तो वह इतना व्यथित हो जाता है कि जीवन को नष्ट करने की ठान लेता है। जबकि उसे रुककर थोड़ा विचार करना चाहिए कि ऐसा क्यों? 🙏