नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में एक व्यवस्था दी है 31 मार्च 2007 से बर्खास्त शिक्षक को बर्खास्त को बहाल कर दिया है
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर आदेश हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर प्रदेश स्थित एक विश्वविद्यालय को को सहायक प्राध्यापक को बहाल उस सहायक प्राध्यापक को बहाल करने का निर्देश दिया। पीठ ने उन्हे करने का निर्देश दिया है, जिसकी सेवा सिर्फ पेंशन व सेवानिवृत्ति लाभ, यदि मार्च 2007 में समाप्त कर दी गई थी। कोई हों, के प्रयोजन के लिए सेवाओ शीर्ष अदालत ने सहायक प्राध्यापक की निरंतरता का लाभ भी प्रदान को राहत देते हुए माना कि उसकी करने का निर्देश दिया। पीठ ने 25 बर्खास्तगी अवैध थी।
अक्टूबर के अपने फैसले में कहा
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और पाया कि अपीलकर्ता की सेवाओ न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ की समाप्ति अवैध थी और कानून ने याचिकाकर्ता की अपील पर यह के अनुरूप नहीं थी। नतीजतन, हम फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का आदेश रद करते इलाहाबाद हाई कोर्ट के फरवरी हैं और अपील की अनुमति देते हैं। 2008 के फैसले को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता 31 मार्च, 2007 से इस आदेश में कहा गया था कि पद बहाली की तारीख तक की अवधि के को निरस्त करने व उसकी सेवा लिए वेतन के किसी भी बकाये का समाप्त करने के विवि के आदेश में हकदार नहीं होगा क्योंकि उसने ‘काम न कोई अवैधता है न ही कोई कमी नहीं, वेतन नहीं’ के सिद्धांत पर उक्त शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय का अवधि में काम नहीं किया है।