WhatsApp Image 2024-01-08 at 6.55.15 PM
WhatsApp Image 2024-01-08 at 6.55.16 PM (1)
WhatsApp Image 2024-01-08 at 6.55.16 PM (2)
WhatsApp Image 2024-01-08 at 6.55.16 PM
WhatsApp Image 2024-01-08 at 6.55.17 PM (1)
IMG_20240301_142817
IMG_20240301_142817
IMG_20240301_142817
previous arrow
next arrow
राष्ट्रीयशिक्षा जगत

संतरा बेचने वाले 65 वर्षीय हरकोला हजबा Harekala Hajabba को पद्मश्री अवार्ड से राष्ट्रपति द्वारा नवाजा गया

नई दिल्ली. मंगलुरु में संतरे बेचने वाले 64 वर्षीय हरेकाला हजब्बा (Harekala Hajabba) को सोमवार को पद्मश्री (Padma Shri) सम्मान से नवाजा गया. हजब्बा को यह सम्मान शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक कार्य करने के लिए दिया गया.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में हजब्बा को देश के सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक पद्मश्री से नवाजा. अक्षर संत कहे जाने वाले हजब्बा को कभी खुद स्कूल में औपचारिक शिक्षा नहीं मिली.

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ा के न्यूपाड़ापू गांव के रहने वाले हरेकाला हजब्बा ने अपने गांव में अपनी जमापूंजी से एक स्कूल खोला. इसके साथ ही वह हर साल अपनी बचत का पूरा हिस्सा स्कूल के विकास के लिए देते रहे. हजब्बा को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा 25 जनवरी 2020 में ही हुई थी, लेकिन फिर कोरोना वायरस महामारी के चलते समारोह का आयोजन नहीं हो सका.

1995 में शुरू हुआ था सफर
मंगलुरु के रहने वाले एक अशिक्षित फल विक्रेता हजब्बा ने शहर से 35 किमी दूर अपने गांव न्यूपड़ापू में अपने गांव के बच्चों को शिक्षा देने के लिए एक स्कूल खोला है. गांव में स्कूल न होने के चलते पढ़ाई न कर पाने वाले हजब्बा ने अपने गांव के बच्चों के दर्द को समझा और तमाम चुनौतियों से जूझते हुए एक स्कूल शुरू किया. स्कूल की जमीन लेने और शिक्षा विभाग से इसकी मंजूरी लेने के लिए उन्होंने ए़ड़ी चोटी का जोर लगाया. 1995 से शुरू किए गए हजब्बा के इन प्रयासों को 1999 में सफलता मिली जब दक्षिण कन्नड़ जिला पंचायत ने 1999 में उनके स्कूल को मंजूरी दे दी.

Related Articles

Back to top button