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पोलैंड और बेलारूस के बीच आख़िर किस बात पर विवाद है?

पूर्वी यूरोप के मुल्क पोलैंड और रूस के पड़ोसी मुल्क बेलारूस के बीच हिंसक संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई है. पोलैंड ने चेतावनी दी है कि बेलारूस की ओर से सैकड़ों शरणार्थी यूरोपीय संघ में घुसने की कोशिश कर रहे हैं जिससे हालात बिगड़ सकते हैं.

सीमा पर ज़ीरो डिग्री से भी कम तापमान में खुले में मौजूद भीड़ ने सीमा पर लगी बाड़ को काटने की कोशिश की जिसके बाद पौलेंड ने बेलारूस से लगी सीमा पर अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात किया है. कुज़निका सीमा को बंद कर दिया गया है. 

पोलैंड के अलावा यूरोपीय संघ के दूसरे देशों लिथुआनिया, लातिविया वगैरह में भी हाल के दिनों में मध्य पूर्व और एशिया के दूसरे देशों से शरणार्थियों का रेला आ रहा है. 

कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन शरणार्थियों को मोहरे के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. सीमा पार करने की कोशिश करनेवालों में बच्चे और औरतें भी शामिल हैं. 

कुज़निका में बोलते हुए पोलैंड के प्रधानमंत्री मैत्यूश मोरावेयत्सकी ने कहा कि सीमा पर पैदा हुई स्थिति के लिए बेलारूस के राष्ट्रपति अलेकजेंडर लुकाशेंको जिम्मेदार है, और वो हालात को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “लुकाशेंको शासन आधुनिक युद्ध के दिनों में नागरिकों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है. हम इस नई रणनीति को देख रहे हैं. आप लोग यानी सैनिक इस नई तरह की पद्धित को हराने की आखिरी चौकी हो. हम जानते हैं कि इसकी योजना पूरी तरह से तैयार की गई है और ये हमारे मुल्क को कमज़ोर करने की कोशिश है.”

मोरावेयत्सकी ने कहा कि उन्हें यूरोपीय संघ का पूरी तरह से समर्थन हासिल है. उनका कहना था कि हमारी पूर्वी सीमा यूरोपीय संघ की सीमा भी है. बेलारूस ने इन आरोपों से इनकार किया है. उधर मॉस्को में बोलते हए रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव ने पूरे मामले के लिए पश्चिमी देशों को ज़िम्मेदार ठहराया.

उन्होंने कहा, “इसके समाधान के लिए मानवाधिकारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन किया जाए, साथ ही ये भी याद रखने की ज़रूरत है कि पूरी समस्य़ा शुरू कैसे हुई और कहां से. पश्चिमी देश मध्य पूर्व और अफ्रीका में अपने जीने के तौर तरीके और स्टैंडर्ड्स को थोपने की कोशिश करते रहे हैं और जब ये कामयाब नहीं हुआ है तो उन्होंने सैन्य कार्रवाईयां शुरू की हैं.”

रूस के विदेश मंत्री का कहना था क यूरोपीय संघ बेलारूस को उसी तरह की आर्थिक मदद दे जैसा उसने तुर्की को दिया था. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संस्था ने ऐसी स्थिति पर रोक लगाने की बात कही है जिसमें शरणार्थियों को मोहरे के तौर पर इस्तेमाल किया जाए.

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