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उत्तरप्रदेशगाज़ियाबाद
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नगर निगम में 14 वर्ष तक रहे अकाउंट अफसर श्री अरुण मिश्रा की विजिलेंस जांच शुरू

गाजियाबाद विकास शर्मा शेखर न्यूज़ संवाददाता की रिपोर्ट


गाजियाबाद :- उत्तर प्रदेश की नगर निगमों में समय-समय पर घोटाले सामने आते रहे हैं. अभी आगरा में एक मामले की खबर चली थी और घपला घोटाला संज्ञान में आया था अब की खबर गाजियाबाद नगर निगम की है. यहां पर 14 साल तक एकमुश्त तैनात रहे अकाउंट अफसर अरुण मिश्रा की यूपी सरकार के आदेश पर विजलेंस जांच शुरू हो गई है.
इसमें निगम के नगरायुक्त को पत्र भेजकर आगरा के एसपी विजलेंस ने अरुण मिश्रा से संबंधित 24 प्वाइंट पर रिपोर्ट मांगी है.
गाजियाबाद की नगर निगम में 14 साल तक तैनात रहे अकाउंट अफसर अरुण मिश्रा की यूपी सरकार के आदेश पर विजलेंस जांच शुरू हो गई है. उत्तर प्रदेश शासन के आदेश पर आगरा के एसपी विजलेंस ने गाज़ियाबाद नगर निगम के आयुक्त को पत्र भेजकर कुछ जानकारी मांगी है. इस पूरे प्रकरण की जांच इंस्पेक्टर विनोद कुमार के द्वारा की जा रही है. नगर निगम में मंगलवार यानी 29 मार्च 2022 को ही पहुंची है. नगर आयुक्त ने इस संबंध में अपर नगर आयुक्त को निर्देशित कर विजिलेंस की टीम द्वारा मांगी गई सभी जानकारियां मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं. बता दें कि शासन के आदेश पर विजिलेंस की टीम ने 18 फरवरी को लेटर जारी कर यह जांच आख्या मांगी थी.
इन बिंदुओं पर मांगी गई है जानकारी
विजलेंस की टीम ने अरुण मिश्रा के सेवा विवरण से संबंधित सेवा प्रारूप के मुताबिक 11 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है. इसमें उनके स्थाई पते से लेकर सेवा में आने की और रिटायरमेंट की तिथि, सेवा के दौरान किन जनपदों में तैनाती और सेवाकाल के दौरान दंड नियमावली से संबंधित जानकारी शामिल है. अकाउंट अफसर की सेवा में आने से लेकर 31 दिसंबर 2021 तक का वेतन विवरण भी मांगा गया है, जिसमें उनके कुल वेतन के अलावा सामान्य कटौतियां, अतिरिक्त कटौती और शुद्ध वेतन की जानकारी शामिल है. विजिलेंस डिपार्टमेंट ने अरुण मिश्रा के सेवाकाल के दौरान जीपीएफ द्वारा क्या कोई पैसा निकाला है और किस कार्य के लिए निकाला गया है इसका भी विवरण मांगा है. सर्विस बुक की कॉपी, सेवाकाल के दौरान खरीदी गई चल-अचल संपत्तियों के संबंध में विभाग द्वारा ली गई अनुमति, उसके अलावा अकाउंट अफसर द्वारा हर साल अपनी संपत्ति घोषित करने का विवरण (सेवा नियमावली के अनुसार) भी मांगा गया हैं.
इस बारे में जब नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर से पूछा तो उन्होंने बताया कि नगर निगम को एसपी विजिलेंस का पत्र मंगलवार को ही मिला है, जिसके बाद अपर नगर आयुक्त शिवपूजन यादव को विजिलेंस द्वारा मांगी गई सभी जानकारी इकट्ठा कर जांच अधिकारी को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है. जल्द ही पूरी जानकारी एकत्रित करके संबंधित विभाग को भिजवा दी जाएगी.
सत्ताधारियों से हैं अच्छे रसूख, इसलिए 14 साल ही जगह टिके रहे
अरुण मिश्रा 14 साल से एक ही निगम में जमे रहे. ये उनके सत्ता में रसूख होने के कारण ही हो सकता है. अपनी पूरी नौकरी में से 14 साल सिर्फ गाजियाबाद नगर निगम में बिता दिए. चार साल पहले उनका तबादला अन्य जनपद में कर दिया गया था लेकिन कुछ दिनों बाद वापस फिर से गाजियाबाद में ही आ गए. सूत्रों की मानें तो
अरुण कुमार की सत्ता से जुड़े बड़े लोगों तक पहुंच है. प्रदेश में सरकार किसी की भी हो लेकिन नगर निगम में सिक्का अरुण मिश्रा का ही चलता था. यही वजह है कि अगस्त 2021 में अरुण मिश्रा का तबादला मुरादाबाद नगर निगम में किया गया जिसके बाद उन्हें रिलीव किया गया था. वह अभी मुरादाबाद नगर निगम में तैनात हैं.

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