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गाजियाबाद नगर निगम बड़ा भ्रष्टाचार- सवालों में नगर निगम के प्रकाश विभाग

संवाद सूत्र गाजियाबाद :- स्ट्रीट लाइट खरीद के नाम पर गाजियाबाद नगर निगम में एक बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। नगर निगम के प्रकाश विभाग पर आरोप है कि सड़कों को रोशन करने के लिए प्रकाश विभाग पिछले तीन साल से हेलोनिक्स कंपनी की एलइडी स्ट्रीट लाइट एक वितरण कंपनी के साथ मिलकर तीन गुना अधिक कीमत पर खरीद रहा था। कंपनी जिस स्ट्रीट लाइट को बाजार में 4,630 रुपये से भी कम में बेचती है, वह नगर निगम में 12 हजार रुपये में खरीदी जा रही थी। निगम द्वारा एलईडी आपूर्ति के लिए नये सिरे से टेंडर जारी करने पर कंपनी ने एलईडी के रेट दिए तो यह गड़बड़ी सामने आई। अब नगर आयुक्त ने हेलोनिक्स कंपनी की आपूर्ति रोककर सरकारी एजेंसी के माध्यम से बजाज को एलईडी खरीदने के आदेश दिए हैं। निविदा डाली तो खुला खेल : दरअसल, नगर निगम ने हाल ही में स्ट्रीट लाइट की आपूर्ति का कार्य केंद्र सरकार के अधीन कार्य करने वाली एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड को सौंपा है। यह एजेंसी नगर निगम को बजाज कंपनी की 190 वाट की स्ट्रीट लाइट की आपूर्ति 5,717 रुपये में कर रही है। इस पर 12 फीसद जीएसटी लगने पर स्ट्रीट लाइट की कीमत 6,440 रुपये है। इससे पहले नगर निगम हेलोनिक्स कंपनी की 120 वाट की स्ट्रीट लाइट 12 हजार रुपये में खरीद रहा था। स्ट्रीट लाइट की खरीद एक डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से की जाती थी। हाल ही में नगर निगम ने जब स्ट्रीट लाइट की खरीद के लिए टेंडर जारी कर कंपनियों से रेट मांगे, तो हेलोनिक्स कंपनी की 120 वाट की स्ट्रीट लाइट को 4,630 रुपये में देने के लिए निविदा डाली गई। वहीं बजाज कंपनी की 110 वाट की स्ट्रीट लाइट की कीमत 3,262 रुपये है, जो 12 फीसद जीएसटी लगने पर 3,653 रुपये हैं। स्ट्रीट लाइट की सात साल की वारंटी भी है।

पहले व्हाइट प्लाकार्ड कंपनी रही है सवालों में : वर्ष 2015 में सड़कों पर लगीं सोडियम लाइटों को बदलकर व्हाइट प्लाकार्ड कंपनी को शहर में 52 हजार स्ट्रीट लाइट लगाने का ठेका दिया गया। सात साल तक कंपनी को मेंटेनेंस करना था। इसकी एवज में बिजली बिल में होने वाली बचत के 70 फीसद रुपये फर्म को और 30 फीसद नगर निगम को मिलने थे। कंपनी ने 35 हजार स्ट्रीट लाइट बदलीं। इनमें से 25 फीसद स्ट्रीट लाइट खराब हो गईं। अगस्त 2018 में कार्यकारिणी ने इस फर्म को ब्लैक लिस्ट करने के निर्देश दिए और भुगतान पर रोक लगाई गई, लेकिन कंपनी को 8.97 करोड़ रुपये शासन से भुगतान कर दिया गया था। इस मामले में पार्षद राजेंद्र त्यागी ने शासन को पत्र भेजा था। उसके बाद ही एक डिस्ट्रीब्यूटर के जरिए हेलोनिक्स कंपनी की स्ट्रीट लाइट की आपूर्ति नगर निगम में की जाने लगी।

उठ रहे सवाल : अब सवाल यह है कि पहले ही हेलोनिक्स के बजाय किसी दूसरी कंपनी की स्ट्रीट लाइट की खरीद क्यों नहीं की गई। यही नहीं जब कई अन्य नगर निगम में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड के माध्यम से स्ट्रीट लाइट की खरीद होती है, तो यहां प्राइवेट संस्था से खरीद क्यों हुई।

पथ प्रकाश व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए सर्वे कराया गया। इसमें पता चला कि पूर्व में लगी स्ट्रीट लाइट की गुणवत्ता खराब है। वो कम वाट की हैं। ऐसे में इस मामले को कार्यकारिणी के समक्ष रखा गया। उनकी सहमति मिलने पर अब बजाज कंपनी की स्ट्रीट लाइट खरीदी जा रही हैं। इनकी कीमत पहले आपूर्ति हो रही स्ट्रीट लाइट से तीन गुना कम है। इससे शहर में प्रकाश व्यवस्था दुरुस्त होगी और खर्च भी कम होगा। मेरे कार्यकाल में हेलोनिक्स कंपनी की स्ट्रीट लाइट की खरीद न के बराबर हुई है। पहले किन कारणों से महंगी लाइट खरीदी गईं, इस संबंध में जानकारी नहीं है।

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